Sunday, July 27, 2014




खुदरा क्षेत्र मे विदेशी निवेश की कुछ और सच्चाई

सरकार खुदरा क्षेत्र में ५१ % विदेशी  निवेश की मंज़ूरी देने वाली है।
यह भारतीय मध्यम-वर्गीय उत्पादकों, व्यापारियों और किसानों को
किस तरह बर्बाद कर देगा, इसका आपको अंदेशा भी नहीं है।
आपको हम वहाँ के  उत्पादकों, व्यापारियों और किसानों की  सही तस्वीर दिखाते हैं, जो कल आपकी होगी।

खुदरा क्षेत्र मे विदेशी निवेश लाने वालों का कहना है कि इससे बिचौलिये खत्म हो जाएंगे. माल सीधा उत्पादक से उपभोक्ता तक पहुंचेगा. इसलिये कीमते कम हो जाएंगी. 

शुरुआत मे सुपरमार्केट कीमते कम कर के अपने सारे प्रतिद्वन्दियों से छुटकारा पा लेते हैं. लेकिन बाद मे अपने हिसाब से जो चाहे वो कीमत मांगते हैं. क्या कम कीमत का नुकसान वे स्वयम उठाते हैं? आस्ट्रेलिया मे दूध की कीमत 50% घटा दी गई. किसने उठाया ये नुकसान? उत्पादक को कम कीमत पर दूध बेचना पडा वरना दूध उसके बरतनो मे ही सडता रहता. 

दूध की कीमत कम करने पर दो बडे सुपर बाज़ारों का मुनाफा 24 से 40 % बढ गया.  सुपर बाज़ारों की 70  नई दुकाने बाज़ार मे आ गईं. जिस बाज़ार मे बाकी अर्थ्व्यवस्था धीमी होवहां इन दुकानो का मुनाफा इतना ज़्यादा कैसे हो गया. सिर्फ दो सुपर चेन स्टोर्स कम्पनियोंने कुल 70 खरब डालर का मुनाफा एक साल मे कमाया. सोचने की बात ये है कि उपभोक्ता ने कम पैसे दिये और सुपर स्टोर ने ज़्यादा मुनाफा कमाया. तो नुकसान किसने उठायासीधा अर्थ है कि किसान ने उठाया नुकसान. बहुत से किसान और दूध उत्पादक अपना पुश्तैनी धन्धा बन्द कर चुके हैं. अगर ऐसी स्थिति भारत मे आई तो क्या होगा?
क्या और अधिक किसान आत्महत्या करने को मजबूर नहीं हो जाएंगे ?
                                          एक आस्ट्रेलिया का  दिवालिया डेरी-मालिक 

सिर्फ दूध नहीं, हर क्षेत्र मे ही छोटे उत्पादको का ये हाल है. वे अपना माल सिर्फ उसी कीमत पर बेच सकते हैं जिस पर सुपर मार्केट खरीदेगा.  सुपर बाज़ार इतने शक्तिशाली हैं कि राजनीतिज्ञ भी कुछ् कहने से डरते हैं. या फिर रिश्वत खा कर चुप रहते हैं. सोचिये भारत मे क्या हाल होगा

क्या विदेशी निवेश से हमें चीज़ें ताज़ा मिलने लगेंगी
आज भारत मे हमे ताज़ा दूध उपलब्ध है. लेकिन आस्ट्रेलिया मे कम से कम 6 दिन पुराना दूध मिलता है दुकान पर. उसे खराब होने से बचाने के लिये उसके सारे जीवाणु मार दिये जाते हैं. इस दूध से आप दही नहीं जमा सकते. आपको दुकान से ही तीन गुणा महंगा दही खरीदना पडेगा. 

और मलाई निकला हुआ दूध महंगा होता है 
ये समझ नहीं आया? मलाई उतारने पर जो कीमत लगानी पडती है, वो क्या मक्खन और मलाई बेचने से पूरी नहीं हो जाती ? इसका एक मात्र कारण है कि ज़्यादा लोग मलाई उतरा हुआ दूध पीते हैं, ताकि दिल की बीमारियों से बचा जा सके. तो इसकी कीमत थोडी सी ज़्यादा रखी है, क्योंकि बिक तो ये जाएगा ही. 

दूध ताज़ा नहीं और मांस? 
उसके बारे मे जानेगे तो आप के होश उड जाएंगे. एक स्टिंग औपेरेशन मे एक वीडियो बनाई गई जिसमे दिखाया गया कि मांस के छोटे छोटे टुकडो को बडा बना कर मुनाफा कमाने के लिये एक Enzyme (उत्प्रेरक) इस्तेमाल किया जाता है. इस पदार्थ को मांस के छोटे, बचे खुचे छोटे टुकडो पर, जो गाय, सुअर, बकरी, मछली आदि सभी जानवरो के हो सकते हैं, छिडक दिया जाता है. फिर 6 घंटे फ्रिज मे रखने के बाद ये टुकडे जुड कर मांस का एक बडा टुकडा बन जाते हैं, जिसे ऊंची कीमत पर बाज़ार मे बेच दिया जाता है. इस उत्प्रेरक को खा कर दिल की बीमारी और अन्य समस्याएं हो सकती हैं. सबसे बडी बात, मुनाफा कमाने के लिये उपभोक्ताओं को धोखा दिया जा रहा है और किसी को पता तक नहीं. 
https://www.youtube.com/watch?v=hXXrB3rz-xU


विदेशी निवेश से न तो हमे ताज़ा और अच्छी चीज़े मिलने वाली हैं और न ही हमारे किसानो का भला होने वाला है. विदेशी निवेश से हम सिर्फ उन अमीरों को और अमीर बना रहे हैं, जिनकी अमीरी से सारी दुनिया परेशान है. बजाय इसके कि हम अपनी अर्थव्यवस्था अपने हाथ मे लेकर स्वदेशी को बढावा दे, हम इन सुपर स्टोर्ज़ के जाल मे फंसने जा रहे हैं.

Original Post: Pravin Gupta
Hindi Translation: Meena Maillart-garg

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